- शिक्षा में इस्लामीकरण का आरोप, प्रतिबंधित की जाए पुस्तक
- शिक्षा में इस्लामीकरण का आरोप, प्रतिबंधित की जाए पुस्तक
- मदर की जगह अम्मी तथा फादर की जगह अब्बू बोलना सिखाया गया
- घर में भी बच्चे अब मांग रहे है बिरयानी
राजस्थान : कोटा के एक निजी इंग्लिश मीडियम स्कूल में गैर मुस्लिम बच्चों को अम्मी और अब्बू बोलना सिखाए जाने की शिकायत शिक्षा विभाग को मिली,जिस पुस्तक में इस तरह का पाठ है,वो पुस्तक हैदराबाद के पब्लिकेशन की है और कक्षा दो में पढ़ाई जा रही है। मामला सामने आने पर स्कूल संचालक ने सफाई देते कहा कि उन्होंने यह पुस्तक पाठ्यक्रम से हटा ली है, किन्तु कोटा सहित देश भर के कई स्कूलों में यह पुस्तक पढ़ाई जा रही है।
शिक्षा विभाग के उप सचिव बंसल से की शिकायत
कोटा के एक स्कूल में गैर मुस्लिम बच्चों को अम्मी और अब्बू बोलना सिखाए जाने पर बजरंग दल के सह प्रांत संयोजक योगेश रेनवाल ने शिक्षा विभाग के उप सचिव रमेश बंसल को इसकी शिकायत की है। बच्चों के परिजनों ने इस तरह का पाठ पढ़ाए जाने को लेकर नाराजगी जताते हुए स्कूल प्रबंधन को शिकायत की थी। जिसमें बताया कि छोटे बच्चों को अंग्रेजी की पुस्तक में मदर की जगह अम्मी तथा फादर की जगह अब्बू बोलना सिखाया गया। योगेश रेनवाल ने बताया कि उन्होंने खुद यह पुस्तक खरीदी, तब पता चला कि अभिभावकों की शिकायत सही है। उनका कहना है कि अभिभावक कक्षा दो में पढ़ाई जा रही पुस्तक के दूसरे चैप्टर में भी ‘ग्रैंडपा फारूक गार्डन’ याने दादाजी फारूक का बगीचा शीर्षक से है। इसमें मुस्लिम चरित्र आमिर व उसके दादा फारूक को दर्शाया गया है और इसी तरह के छठे चैप्टर में पेज नंबर 20 पर बताया गया है कि पेरेंट्स किचन में हैं। वह बिरयानी बना रहे हैं। रेनवाल का कहना है कि इससे बच्चों को इस्लामी भोजन नानवेज खिलाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। परिजनों ने उन्हें शिकायत में बताया कि बच्चे अब घर में माता-पिता को अम्मी-अब्बू कहने लग गए हैं और बिरयानी बनाने पर जोर देने लगे हैं।
शिक्षा में इस्लामीकरण का आरोप, प्रतिबंधित की जाए पुस्तक
रेनवाल का कहना है कि एक अंग्रेजी मीडियम स्कूल यानी कान्वेंट स्कूल में शिक्षा के इस्लामीकरण के लिए ऐसी किताबें चलाई जा रही हैं, जिससे हिंदू समाज की भावनाएं आहत हुई हैं और ऐसी किताबों पर प्रतिबंध लगना चाहिए। जबकि कोटा के मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी हजारी लाल शिवहरे का कहना है कि उन्हें नहीं पता कि किस स्कूल में इस तरह की पुस्तक पढ़ाई जा रही है और ना ही इस संबंध में किसी अभिभावक की शिकायत उन्हें नहीं मिली है। शिकायत मिली तो कमेटी से जांच कराकर CBSE को रिपोर्ट भेजी जाएगी। इधर, कान्वेंट स्कूल के संचालक का कहना है कि पुस्तक के कंटेंट पर आपत्ति के बाद उसे सिलेबस से हटा दिया गया है। हालांकि यह पुस्तक उनके स्कूल में ही नहीं, बल्कि देश के कई स्कूलों में पढ़ाई जा रही है ऐसा स्कूल संचालको का कहना है।