राष्ट्रपति चुनाव के जरिए विपक्ष ने एकजुट होने का दांव खेला था। अब इस चुनाव में द्रौपदी मुर्मू के रूप में लगाए गए आदिवासी और महिला दांव ने विपक्ष की एकता को राजग ने तार-तार कर दी ह। विपक्ष में पड़ी इस फूट के कारण मुर्मू बड़ी जीत तय हो गई है। मुर्मू की उम्मीदवारी से एक के बाद एक विपक्षी पार्टियां मुर्मू को अपना समर्थन देते दिखाई दे रही है।
यशवंत सिन्हा का नाम सबके सामने रखने वाली TMC भी असंजस में दिखाई दे रही है, बात करे इस फुट की तो सपा और कांग्रेस भी इस फुट की शिकार हुई है ऐसे में यशवंत सिन्हा कैसे जीत पाएंगे ? यहां तो उनका समर्थन करनेवाले लोग ही अब मुर्मू को जिताने में लग गए है, क्या उनके अपनों ने उन्हें धोखा दिया ?
अब तक गैर राजग दलों में बीजेडी, अकाली दल, वाईएसआर कांग्रेस, टीडीपी, बसपा, झामुमो, जदएस, सुभासपा और शिवसेना ने समर्थन देने की घोषणा की है। देखनेवाली बात ये है की इनमें झामुमो, शिवसेना, जदएस और टीडीपी ने पहले विपक्षी दलों की बैठक में यशवंत के नाम पर सहमति दी थी। हालांकि, राजग के आदिवासी कार्ड के बाद ये दल मुर्मू के साथ आने पर मजबूर हो गए। राष्ट्रपति चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी की शनिवार को बैठक होगी तो देखना ये है की आम आदमी पार्टी किसे समर्थन देती है द्रौपदी मुर्मू या यशवंत सिन्हा ?
कांग्रेस-सपा और शिवसेना में बवाल
द्रोपदी मुर्मू के समर्थन के सवाल पर कांग्रेस, सपा में बड़ी फूट नजर आ रही है तो शिवसेना के अधिकांश सांसदों ने उद्धव ठाकरे को मुर्मू का साथ देने की सलाह दे दी और संसदीय दल में फूट रोकने की कोशिश में उद्धव ठाकरे द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने के लिए तैयार हो गए हैं। तो दूसरी तरफ कांग्रेस के भीतर भी समर्थन पर आग लगी हुई है ,झारखंड के कुछ विधायकों ने मुर्मू का समर्थन करने की घोषणा की है, जबकि सपा के शिवपाल यादव और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के ओमप्रकाश राजभर ने भी मुर्मू का समर्थन करने की घोषणा कर दी है ।
द्रौपदी मुर्मू बड़ी जीत की ओर बढाती दिखाई दे रही है
विपक्ष के सात दलों के समर्थन और शिवसेना में हुई टूट के बाद द्रौपदी मुर्मू बड़ी जीत तय है। अब इन दलों के साथ आने से उनके समर्थक वोटों की संख्या 6.5 लाख के करीब पहुंच रही है। याद रहे कि राजग के पास 5,26,420 वोट हैं, हालांकि, बीजेडी (करीब 25,000), वाईएसआर कांग्रेस (करीब 43,000 वोट) के साथ आने और शिवसेना में बड़ी टूट के साथ ही भाजपा की मुर्मू की जीत तय हो गई। अब देखना ये है की क्या मुर्मू को रामनाथ कोविंद से अधिक वोट मिलेंगे ? कोविंद को बीते चुनाव में करीब 7.2 लाख वोट हासिल हुए थे