नागरिकता संशोधन कानून पर अमेरिका की तरफ से हाल ही में एक प्रतिक्रिया दी गई थी। जिसमे जोर देकर कहा गया कि किसी भी देश में मजबूत लोकतंत्र में धार्मिक स्वतंत्रता बनी रहनी जरूरी है। अमेरिका की ईसी प्रतिक्रिया पर विदेश मंत्रालय की तरफ से जवाब दिया गया है और साफ साफ कहा गया है कि ये भारत का आंतरिक मामला है और इसमें किसी दूसरे देश को हस्तक्षेप करने की कोई जरूरत नहीं।
अमेरिका के बयान पर भारत ने कहा कि अमेरिका की जो भी प्रतिक्रिया है, वो आधी और गलत जानकारी पर आधारित है। भारत का संविधान सभी को धार्मिक आजादी देता है।
जारी बयान में विदेश मंत्रालय ने कहा कि सीएए देश का आतंरिक मामला है और इसे भारत की परंपरा और मानव अधिकारों को ध्यान में रखकर ही लागू किया गया है। इस कानून के तहत अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यक हिंदू, सिख, बौध, पारसी, इसाई समुदाय को सुरक्षित स्थान देने की है। ये नागरिकता देने का कानून है, कोई छीनने का नहीं। भारत का संविधान सभी को धार्मिक आजादी देता है। संकट में फंसे लोगों की मदद के लिए उठाए गए किसी भी कदम को वोट बैंक की राजनीति से नहीं देखा जाना चाहिए।