Reservation : जवाहर लाल नेहरू से लेकर डॉक्टर मनमोहन सिंह की सरकार तक काँग्रेस ने आरक्षण को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है, ऐसा पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ काँग्रेस नेता श्री पी. चिदंबरम ने सोशल मीडिया X पर कहा मगर सोशल मीडिया X पर लोगों ने काँग्रेस पर जमकर भड़ास निकालते हुवे आरक्षण की राह में रोड़े अटकाने का आरोप लगाया है।
काँग्रेस ने कब-कब लागू किया आरक्षण
चिदंबरम ने अपनी पोस्ट में कहा की यह जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व वाली काँग्रेस सरकार थी जिसने 1951 में सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण प्रदान करने वाले संविधान में पहला संशोधन पारित किया था। यह पी वी नरसिम्हा राव के नेतृत्व वाली काँग्रेस सरकार थी जिसने 1994 में केंद्र सरकार की नौकरियों में ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण लागू किया था। यह डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली काँग्रेस सरकार थी जिसने 2006 में केंद्र सरकार के शैक्षणिक संस्थानों में ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण लागू किया था। केंद्र की उत्तराधिकारी सरकारों ने आरक्षण पर काँग्रेस की नीति का ही पालन किया, आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा एक न्यायिक निर्णय था। कई राज्यों में इसका उल्लंघन हुआ है | काँग्रेस ने अपने घोषणापत्र 2024 में वादा किया है कि काँग्रेस या काँग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार 50 प्रतिशत की सीमा को हटा देगी
चिदंबरम की X पोस्ट पर तमाम लोगों ने दी प्रतिक्रिया
आरक्षण पर पोस्ट की गई पी. चिदंबरम की पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए लोग कह रहे हैं कि यह नेहरू ही थे, जिन्होंने एससी (SC) और एसटी (ST )के लिए आरक्षण का स्पष्ट रूप से विरोध करते हुए मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा था
आरक्षण में रोड़े अटकाने से भरा पड़ा है काँग्रेस का इतिहास
काँग्रेस का इतिहास SC,ST,और OBC (ओबीसी) के लिए कोटा में बाधा डालने से भरा पड़ा है। यह काँग्रेस ही है, जिसने कर्नाटक में पूरे मुस्लिम समुदाय को ओबीसी का नाम दिया है, जिससे ओबीसी को उनकी पूरी हिस्सेदारी से वंचित कर दिया गया है। यह काँग्रेस ही है, जिसने 2004-10 के बीच आंध्र प्रदेश में मुसलमानों को आरक्षण में से कुछ हिस्सा देकर ओबीसी को धोखा देने की कोशिश की थी। केंद्र में काँग्रेस की सरकार ने ही 2011 में मुसलमानों को उनके कोटे का एक हिस्सा देकर ओबीसी को धोखा देने की कोशिश की थी।
राजीव गांधी ने भी किया था OBC आरक्षण का विरोध
यह राजीव गांधी ही थे, जिन्होंने 1990 में ओबीसी आरक्षण का पुरजोर से विरोध किया था। लोगों ने यह भी कहा कि यह काँग्रेस ही थी, जिसने 1983 में बनी मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू नहीं कीं। अंततः बीजेपी समर्थित सरकार ने इसे 1990 में लागू किया। इसके साथ ही लोगों ने लिखा कि, यह काँग्रेस ही है, जिसने डॉ. अंबेडकर की निंदा की और उन्हें हराने और उनके संसद में प्रवेश को रोकने के लिए हर तरह का प्रयास किया था। यह कांग्रेस ही है जिसने गांधी परिवार के हाथों सीताराम केसरी जैसे पिछड़े नेता को अपमानित किया। यह राहुल गांधी ही हैं, जिन्होंने 2019 के भाषण में पूरे पिछड़े समुदाय को गाली दी थी और जिसके लिए उन्हें अदालत ने दोषी भी ठहराया था।
केलकर समिति की सिफारिश और नहेरु
सोशल मीडिया पर लोगों ने कहा कि नेहरू ने अपने पत्र में लिखा था की, यह सच है कि हम अनुसूचित जातियों और जनजातियों की मदद करने के बारे में कुछ नियमों और परंपराओं से बंधे हैं। वे मदद के पात्र हैं, लेकिन, फिर भी, मैं किसी भी तरह के आरक्षण को नापसंद करता हूं, खासकर सेवा में मैं दोयम दर्जे के इस मानक के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करता हूं, जो अक्षमता की ओर ले जाती है। लोग आगे लिख रहे हैं कि यह काँग्रेस ही थी, जिसने 1957 में की गई केलकर समिति की सिफारिश ( पिछड़ा आयोग के लिए ) को तब तक ठंडे बस्ते में डाल दिया जब तक कि पीएम मोदी ने 2018 में कांग्रेस के विरोध के बावजूद OBC आयोग को संवैधानिक दर्जा नहीं दे दिया।