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नई दिल्ली: शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, पिछले साल देशभर में 65 लाख से ज़्यादा छात्र 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा पास नहीं कर पाए थे। राज्य बोर्ड में फेल होने की दर केंद्रीय बोर्ड से ज़्यादा थी।
56 राज्य बोर्ड और तीन राष्ट्रीय बोर्ड सहित 59 स्कूल बोर्ड के 10वीं और 12वीं के नतीजों के विश्लेषण से पता चला है कि सरकारी स्कूलों से 12वीं की परीक्षा में ज़्यादा लड़कियाँ शामिल हुईं, लेकिन निजी स्कूलों और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में यह स्थिति उलट है।
शिक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “10वीं के करीब 33.5 लाख छात्र अगली कक्षा में नहीं पहुँच पा रहे हैं। 5.5 लाख छात्र परीक्षा में शामिल नहीं हुए, जबकि 28 लाख फेल हो गए। उच्चतर माध्यमिक स्तर पर कम रिटेंशन रेट और सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) का यही एक कारण है।”
इसी तरह, 12वीं के करीब 32.4 लाख छात्र कक्षा पूरी नहीं कर पाए। 5.2 लाख छात्र परीक्षा में शामिल नहीं हुए, जबकि 27.2 लाख फेल हो गए। कक्षा 10 में, केंद्रीय बोर्ड में छात्रों की असफलता दर 6 प्रतिशत थी, जबकि राज्य बोर्डों में यह दर 16 प्रतिशत थी।
कक्षा 12 में, केंद्रीय बोर्ड में असफलता दर 12 प्रतिशत है, जबकि राज्य बोर्डों में यह दर 18 प्रतिशत है। मंत्रालय के अधिकारियों ने पाया कि दोनों कक्षाओं में ओपन स्कूल का प्रदर्शन खराब रहा।
कक्षा 10 में सबसे अधिक छात्र मध्य प्रदेश बोर्ड में फेल हुए, उसके बाद बिहार और उत्तर प्रदेश का स्थान रहा। कक्षा 12 में, सबसे अधिक छात्र उत्तर प्रदेश से फेल हुए, उसके बाद मध्य प्रदेश का स्थान रहा।
अधिकारी ने कहा, “पिछले वर्ष की तुलना में 2023 में छात्रों के समग्र प्रदर्शन में गिरावट आई है। यह परीक्षा के लिए बड़े पाठ्यक्रम के कारण हो सकता है।” सरकारी स्कूलों से कक्षा 10 और 12 की बोर्ड परीक्षाओं में लड़कों की तुलना में अधिक लड़कियां शामिल हुईं।
अधिकारी ने कहा, “यह माता-पिता द्वारा शिक्षा पर खर्च करते समय लैंगिक पूर्वाग्रह को दर्शाता है। हालांकि, सरकारी, सहायता प्राप्त और निजी स्कूलों में पास होने के मामले में लड़कियां सबसे आगे हैं।”
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