Triple Talaq :
Triple Talaq : इंदौर खंडपीठ ने तीन तलाक मामले में सुनवाई करते हुए महत्वपूर्ण टिप्पणी की है, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने कहा कि तीन तलाक समाज के लिए बुरा है और कानून निर्माताओं को यह महसूस करने में कई साल लग गए, कोर्ट ने ये भी कहा की, तलाक मामले में पति भविष्य में यदि गलती सुधारे भी तो पीडि़त महिला को हलाला के अत्याचारों का सामना करना पड़ता है, हमें अब देश में समान नागरिक संहिता (UCC) की आवश्यकता का अहसास होना चाहिए
क्या था मामला ?
राजपुर निवासी मुस्लिम महिला ने अपने पति, सास और ननद के खिलाफ तीन तलाक व दहेज प्रताड़ना के मामले में प्रकरण दर्ज कराया था। इस में यह तर्क दिया गया था कि तीन तलाक की धारा सिर्फ पति पर लगाई जाती है, लेकिन इन धाराओ में पति की मां और बहन पर भी केस दर्ज हुआ है। जिसे निरस्त करने की मांग इंदौर हाईकोर्ट में की गई थी। कोर्ट ने तीन तलाक पर टिप्पणी करते हुवे दोनों के खिलाफ तीन तलाक का केस निरस्त कर दिया
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कोर्ट की टिपण्णी क्या है ?
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने इस मामले पर टिपण्णी करते हुवे कहा कि समाज में कई कट्टरपंथी, अंधविश्वासी और अति-रूढ़िवादी प्रथाएं प्रचलित हैं जो आस्था और विश्वास के नाम पर छिपी हुई हैं, मुस्लिम पर्सनल लॉ में तीन तलाक विवाह विच्छेद को दिखाता है, मुस्लिम व्यक्ति तीन बार तलाक बोलकर अपनी शादी खत्म करने के लिए सक्षम है, पति भविष्य में यदि गलती सुधारे भी तो पीडि़त महिला को हलाला के अत्याचारों का सामना करना पड़ता है, अब तीन तलाक के खिलाफ कानून बन गया, यह समानता दर्शाने के लिए बड़ा कदम है, कानून निर्माताओ को यह समझने में कई साल लग गए कि समाज के लिए तीन तलाक बुरा है, नया कानून नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता के महत्व को बताता है, अब देश में समान नागरिक संहिता के महत्व को समझना होगा।
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