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आखिर क्या है राइट टू रिपेयर कानून ? : मोदी सरकार कर रही है तैयारी

  • ग्राहकों के हित का कानून है
  • अब नहीं चलेगी कम्पनियो की मनमानी
  • कोई कम्पनी आपके प्रोडक्ट को रिपेयर करने से मना नहीं कर सकती
  • कंपनियों को नए के साथ पुराने प्रोडक्ट्स के पार्ट्स भी रखने होंगे।
  • प्रोडक्ट के पार्ट्स बाजार में उपलब्ध भी करवाने होंगे।

ग्राहकों को मुश्केलियो का सामना न करना पड़े और E – west पर कंट्रोल लगाने के लिए सरकार ने ग्राहकों के हित को ध्यान में रखकर राइट टू रिपेयर कानून लाने के लिए एक कमिटी की रचना की है। दुनिया के ज्यादातर देश गैजेट्स को ठीक यानी रिपेयर करने के प्रोसेस को बेहदआसान बनाना चाहते हैं अगर एक्सपर्ट कि मानो तो कंपनियां जानबूझ कर अपने उत्पाद ऐसे बनाती हैं कि उन्हें ठीक करना मुश्किल हो या जानबूझकर स्पेयर पार्ट्स मिलना मुश्किल बना दिया जाता है।

आइये जानते है की आखिर ये है क्या ?

राइट टु रिपेयर के तहत कौन से प्रोडक्ट आएंगे?

राइट टु रिपेयर में मोबाइल, लैपटॉप, टैबलेट जैसे इलेकट्रॉनिक गैजेट्स समेत वाशिंग मशीन, रेफ्रिजरेटर , एसी, फर्नीचर और टेलीविजन जैसे कन्यूमर ड्यूरेबल्स शामिल होंगे और आपकी कार के स्पेयर पार्ट्स से लेकर किसानों के काम आने वाले उपकरण भी राइट टु रिपेयर के दायरे में आएंगे।

इस कानून का लोगों को क्या फायदा होगा?

ये कानून लागू होने के बाद अगर किसी का मोबाइल, वाशिंग मशीन,लैपटॉप, टैब, एसी, फ्रिज, टेलीविजन, कार जैसा कोई प्रोडक्ट खराब हो जाता है तो कंपनी को गैजेट का वह पार्ट बदलकर देना होगा, उस कंपनी का सर्विस सेंटर रिपेयर करने से इनकार नहीं कर सकता कि पार्ट पुराना है और उसे बनाया नहीं जा सकता।

याने नए कानून के बाद अब कंपनियों को किसी भी सामान का नए हिस्से के साथ पुराने हिस्से भी रखने होंगे, सिर्फ इतना ही नहीं मगर इसके साथ ही पुराने पुर्जों को बदलकर सामान को ठीक करने की जिम्मेदारी भी कंपनी की होगी। और सबसे बड़ी बात ये है की यूजर्स कंपनी के सर्विस सेंटर के अलावा कहीं भी अपने गैजेट्स को सही करवा सकेंगे

असल में पहले क्या होता की कंपनियां किसी प्रोडक्ट के नए मॉडल या अपना ही कोई दूसरा प्रोडक्ट बेचने के लिए पुराने प्रोडक्ट की रिपेयरिंग से मना कर देती थी।

राइट टु रिपेयर कानून लाने के पीछे मकसद क्या है?

तो दोस्तों,सरकार का इस कानून के पीछे दो मकसद हैं ,पहला ये की ग्राहकों को रिपेयिंग न होने की वजह से बिना जरूरत नए प्रोडक्ट खरीदने से मुक्ति मिलेगी और दूसरा ये की इससे इलेक्ट्रॉनिक कचरे यानी ई-वेस्ट में भारी कमी आएगी जो दुनियाभर में तेजी से बढ़ रहा है।

लोगों को राइट टु रिपेयर मिलने के बाद कंपनियों की क्या जिम्मेदारी होगी ?

  • कंपनियों को किसी भी गैजेट्स से जुड़े सभी तरह के कागजात और मैनुअल यूजर्स को देने होंगे।
  • कंपनियों को नए के साथ पुराने प्रोडक्ट्स के पार्ट्स भी रखने होंगे।
  • यूजर्स कंपनी के सर्विस सेंटर के अलावा कहीं और भी अपने गैजेट्स या प्रोडक्ट को रिपेयर करवा सकें इसके लिए
  • प्रोडक्ट के पार्ट्स बाजार में उपलब्ध भी करवाने होंगे।

अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय यूनियन के देशों में भारत से पहले ‘राइट टु रिपेयर’ जैसे कानून लागू हैं। ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में तो रिपेयर कैफे हैं, जहां अलग-अलग कंपनियों के एक्सपर्ट इकट्ठा होकर एक-दूसरे के साथ रिपेयरिंग स्किल शेयर करते रहते हैं।

मार्च 2021 में यूरोप ने वॉशिंग मशीन, डिश वॉशर्स, फ्रिज और टीवी स्क्रीन बनाने वाली कंपनियों को उस मॉडल का बनना बंद होने के 10 साल बाद तक स्पेयर पार्ट उपलब्ध कराने का आदेश दिया था।

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