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ज्ञानवापी परिसर के ASI से सर्वे की मांग को लेकर कोर्ट में प्रार्थना पत्र, 22 को सुनवाई

ज्ञानवापी परिसर के ASI से सर्वे की मांग को लेकर कोर्ट में प्रार्थना पत्र, 22 को सुनवाई

बहुचर्चित ज्ञानवापी परिसर में मिली शिवलिंगनुमा आकृति का ही नहीं बल्कि पूरे विवादित स्थल का ASI वैज्ञानिक पद्धति से जांच करने की मांग को लेकर जिला जज कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया गया। मामले में अब 22 तारीख को होगी सुनवाई।

  • ज्ञानवापी में मिली शिवलिंगनुमा आकृति कितनी प्राचीन है ?
  • शिवलिंग स्वयंभू है या कहीं और से लाकर उसकी प्राण प्रतिष्ठा की गई थी ?
  • विवादित स्थल की वास्तविकता क्या है ?
  • विवादित स्थल के नीचे जमीन में क्या सच दबा हुआ है ?
  • मंदिर को ध्वस्त कर उसके ऊपर तीन कथित गुंबद कब बनाए गए?
  • तीनों कथित गुंबद कितने पुराने हैं ?

मसाजिद कमेटी को आवेदन की कॉपी दी गई

मंगलवार को जिला जज की अदालत में वाराणसी के बहुचर्चित ज्ञानवापी परिसर में मिली शिवलिंगनुमा आकृति का ही नहीं, बल्कि पूरे विवादित स्थल का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से वैज्ञानिक पद्धति से जांच कराने संबंधी प्रार्थना पत्र दिया गया। अब इस मामले में जिला जज कोर्ट ने अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी को आपत्ति दाखिल करने के लिए 19 मई तक का समय दिया है और मसाजिद कमेटी को आवेदन की कॉपी दी गई। इसके साथ ही कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के लिए 22 मई की तिथि तय की। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने छह याचिकाकर्ताओं की तरफ से सर्वे की गुहार लगाई है।

हमारे धर्मस्थलों को विदेशी आक्रांताओं ने तलवार के बल पर उजाड़ा था

अधिवक्ता श्री विष्णु जैनने कहा कि सनातन हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले सभी लोग यह चाहते हैं कि हमारे आराध्य आदि विश्वेश्वरा से जुड़ा ज्ञानवापी का सच सामने आए। सबको यह मालूम होना चाहिए कि ज्ञानवापी में आदि विश्वेश्वर का मंदिर कब बना था ? आगे उन्होंने कहा कि इसके लिए अब हम लोगों ने अदालत से पूरे विवादित स्थल की कार्बन डेटिंग और ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार तकनीक से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से सर्वे कराने की मांग की है। अधिवक्ता ने कहा कि अनादि काल से हमारी आस्था के केंद्र रहे हमारे धर्मस्थलों को विदेशी आक्रांताओं ने तलवार के बल पर उजाड़ा था।

ज्ञानवापी प्रकरण में ये सवालों के जवाब मिलने है जरूरी

अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने आगे कहा कि देश की जनता को ज्ञानवापी से जुड़े इन महत्वपूर्ण सवालों के जवाब मिलने जरूरी हैं। ज्ञानवापी में मिली शिवलिंगनुमा आकृति कितनी प्राचीन है ? शिवलिंग स्वयंभू है या कहीं और से लाकर उसकी प्राण प्रतिष्ठा की गई थी ? विवादित स्थल की वास्तविकता क्या है ? विवादित स्थल के नीचे जमीन में क्या सच दबा हुआ है ? मंदिर को ध्वस्त कर उसके ऊपर तीन कथित गुंबद कब बनाए गए? तीनों कथित गुंबद कितने पुराने हैं ?

सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता के मुताबिक, याचिका राम प्रसाद सिंह, महंत शिव प्रसाद पांडेय, लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक की ओर से दाखिल की जाएगी। चारों महिलाएं पहले से ही ज्ञानवापी के मां श्रृंगार गौरी केस की वादिनी हैं।

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