- दूनागिरी युद्धपोत की विशेषताएं
- इस युद्धपोत में 75 फीसदी हथियार, उपकरण और सिस्टम स्वदेशी हैं।
- इसमें पहले के युद्धपोतों से बेहतर प्रणालियां हैं। अत्याधुनिक हथियारों से लैस है।
- यह नौसेना के पुराने दूनागिरी ASW फ्रीगेट का नया अवतार है।
- पुराना दूनागिरी 33 साल की सेवाएं पूरा करने के बाद वर्ष 2010 में सेवानिवृत्त हो गया था।
- नए पोत का नाम भी वही रखने की परंपरा है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज कोलकाता में GRSE द्वारा निर्मित युद्धपोत ‘ दूनागिरी ‘ राष्ट्र को समर्पित किया। उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने इसे हनुमान जी और संजीवनी बूटी से जोड़ते हुए कहा की , ‘यह युद्धपोत हमारे लिए बहुत बड़ी संपत्ति साबित होगा। भगवान लक्ष्मण के लिए ‘संजीवनी बूटी‘ लाने के लिए भगवान हनुमान पूरे द्रोणागिरी पर्वत को उठा लाए थे। द्रोणागिरी या दूनागिरी भी किसी भी स्थिति में अपने काम को अंजाम देने में सक्षम है।’
दूनागिरी युद्धपोत के लांचिंग समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ नेवी वाइव्स वेलफेयर एसोसिएशन की अध्यक्ष कला हरि कुमार भी मौजूद थीं। इस युद्धपोत का निर्माण गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (GRSE) ने किया है। यह GRSE द्वारा निर्मित दूसरा पी17A युद्धपोत है।
नौसेना प्रमुख एडमिरल हरिकुमार बोले
समारोह में नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार ने कहा कि नौसेना के साजो सामान के 88 फीसदी अनुबंध भारतीय उद्यमों से किए जा रहां है। इनमें 1.75 लाख करोड़ का निवेश प्रगति पर है,इस तरह से नौसेना की खरीदी के लिए खर्च किए जाने वाले प्रत्येक 10 करोड़ रुपये में से 9 करोड़ रुपये हमारी अर्थव्यस्था में वापस आ जाते हैं।
ख़ास बात ये है की सातों युद्धपोत के नाम पर्वतों पर
नौसेना के लिए इस श्रृंखला का चौथा युद्धपोत है। नौसेना के लिए कुल सात शिवालिक क्लास पोत तैयार किए जा रहे हैं। चार मुंबई स्थित मझगांव डॉकयार्ड में तैयार किए जा रहे हैं। बाकी तीन जीआरएसई में। मझगांव गोदी में पहले ही इस श्रेणी के दो युद्धपोत लांच किए जा चुके हैं। तीसरा युद्धपोत उदयगिरी लॉन्च किया गया था। सातों युद्धपोत देश की अलग-अलग पर्वत-श्रृंखला के नाम पर रखे गए हैं।