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लोकप्रियता के मामले में पीएम मोदी फिर टॉप पर : G-7 सम्मेलन में बिखेरी चमक

  • 22 देशों में कराया गया सर्वे
  • जी-7 शिखर सम्मेलन में शामिल अलोकप्रिय नेताओं की संख्या सबसे ज्यादा
  • भारत के पीएम नरेन्द्र मोदी सबसे ऊपर हैं, जिनकी रेटिंग 78 फीसद है
  • इसी साल मार्च में भी मॉर्निंग कंसल्ट के एक सर्वे पीएम मोदी की रेटिंग 76 प्रतिशत थी।

मॉर्निंग कंसल्ट के ये सर्वे में बताया गया है कि जी-7 शिखर सम्मेलन में अलोकप्रिय नेताओं की संख्या सबसे ज्यादा है। अनुमोदन रेटिंग के आधार पर मॉर्निंग कंसल्ट ने ऐसा दावा किया है। हालांकि लोकप्रियता के मामले में पीएम मोदी फिर एकबार लोकप्रियता के टॉप पर हैं।

भारत के प्रधानमंत्री बनने के बाद श्री नरेन्द्र मोदी लोकप्रियता के मामले में लगातार नंबर एक बने रहे है जो उन्हें वैश्विक नेता के रूप में प्रस्तुत करता है, हालही में अमेरिकी फर्म मॉर्निंग कंसल्ट ने एक सर्वे किया है। जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता किसी भी अन्य नेता के मुकाबले कहीं अधिक बढ़ती नजर आ रही है। इस सर्वे में भारत के पीएम नरेन्द्र मोदी सबसे ऊपर पहले पायदान पर है, जिनकी रेटिंग 78 प्रतिशत है। इसके बाद स्विट्जरलैंड के राष्ट्रपति एलेन बेर्सेट ६२ प्रतिशत , मैक्सिको के राष्ट्रपति एंड्रेस मैनुअल लोपेज ओब्रेडोर ६२ प्रतिशतऔर ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ५३ का नंबर आता है। जिसे विकसित देश कहा जाता है उनके नेता जैसे कनाडा के जस्टिन टुडो ९% , बाइडन ४२%, सुनक ३३% , फ्रांस के मेकरों २५% वोट पाने में कामयाब हुवे है ये सर्वे दर्शाता है की कायम है पीएम मोदी का जलवा

ग्लोबल लीडर अप्रूवल लिस्ट में भी मोदी थे पहले नंबर पर

एक बात ये भी है की इसी साल मार्च में भी मॉर्निंग कंसल्ट का एक सर्वे सामने आया था,इस ग्लोबल लीडर अप्रूवल लिस्ट में पीएम मोदी टॉप पर थे। यहां पर भी मोदी ने 22 देशों के नेताओं को पछाड़ कर लोकप्रियता के मामले में पहले स्थान हासिल किया था। सर्वे में पीएम मोदी की रेटिंग 76 प्रतिशत थी।

22 देशों में कराया गया सर्वे

मॉर्निंग कंसल्ट ने ये सर्वे 22 देशों में कराया है। इस सर्वे से साफ़ होता है की जी-7 शिखर सम्मेलन में शामिल नेताओ में अलोकप्रिय नेताओं की संख्या सबसे ज्यादा है हालांकि फर्म ने अपने अनुमोदन रेटिंग के आधार पर ऐसा दावा किया है। फर्म का दावा है कि अमेरिका, जापान, फ्रांस, ब्रिटेन समेत कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों को जनता के गुस्से का सामना अलग-अलग कारणों से करना पड़ रहा है।

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