ब्रिटेन में जन्मे 42 वर्षीय भारतीय मूल के नेता और इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति के दामाद और UK के वित्तमंत्री रहे चुके ऋषि सुनक ने शुरू किया है अपना प्रचार अभियान |चुनाव में नामांकन की प्रक्रिया मंगलवार को होगी. यह प्रक्रिया एक दिन में ही खत्म हो जाएगी। ब्रिटेन का नया प्रधानमंत्री बनने के लिए अब तक 11 लोग दावेदारी पेश कर चुके हैं ।
ब्रिटेन के पूर्व वित्त मंत्री ऋषि सुनक ने मंगलवार को कंजर्वेटिव पार्टी के नेतृत्व के लिए अपने चुनाव प्रचार अभियान की आधिकारिक शुरुआत कर दी है। उन्होंने अपने भाषण में सकारात्मक अभियान चलाने का वादा किया और कहा कि निवर्तमान प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को नकारात्मक रूप में पेश नहीं किया जाएगा।
ऋषि सुनक का सफर कुछ इसतरह है
◆ 2015 में यॉर्कशायर के रिचमन्स से सांसद बने थे
◆ ब्रेगजीट समर्थक ऋषि सुनक जॉनसन सरकार में वित्त मंत्री बने
◆ ऋषि सुनक के इस्तीफे के बाद ही जॉनसन पर PM पद से इस्तीफे का दबाव बढ़ा था
◆ सुनक ने इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति की बेटी अक्षता मूर्ति से शादी की है।
ऋषि सुनक ने खुले दिल से स्वीकार किया कि उनकी अपने पूर्व ‘बॉस’ के साथ कुछ मुद्दों पर असहमति थी हालांकि उन्होंने जॉनसन की एक नेकदिल वाले व्यक्ति के रूप में सराहना भी की। ऋषि ने लंदन में अपने अभियान के शुरुआती भाषण में कहा की ‘‘बोरिस जॉनसन उन सबसे विशिष्ट व्यक्तियों में से एक हैं जिनसे मैं अपने जीवन में मिला हूं। लोग उनके बारे में कुछ भी कह सकते हैं, लेकिन उनका दिल बहुत अच्छा है।’’
मैं उनसे असहमत था ये बात सच है और क्या उनमे कमियां है ? तो जवाब है हाँ …. हम सब मे कमियां है, लेकिन मैं स्पष्ट कर दूं, मैं उस इतिहास को फिर से लिखने में हिस्सा नहीं बनूंगा जिसमें बोरिस को बदनाम करने, उनकी गलतियों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने या उनके प्रयासों को नकारने का प्रयास किया जाए।’’ ऋषि सुनक ने इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति की बेटी अक्षता मूर्ति से शादी की है।
नेता को पीएम पद का दावेदार बनने के लिए न्यूनतम 20 सांसदों के समर्थन की जरूरत होगी, ब्रिटिश संसद में टोरी पार्टी के इस वक्त 358 सांसद हैं. जिस कैंडिडेट को 30 सांसदों का वोट मिल जाएगा वो दूसरे राउंड में चले जाएंगे और बाकी PM पद की रेस से बाहर हो जाएंगे, इसके बाद बचे हुए उम्मीदवारों के लिए पार्टी के सांसद वोट डालेंगे. इसके बाद तीसरे राउंड में बचे हुए 2 उम्मीदवारों के लिए पार्टी के कार्यकर्ता वोटिंग करेंगे और देश में कंजर्वेटिव पार्टी के करीब ढाई लाख जितने कार्यकर्ता हैं. वे सब मिलकर इन चुनाव में वोटिंग करके नए नेता का चुनाव करेंगे.