International Scientist : गोरखपुर यूनिवर्सिटी (GU) के बॉटनी डिपार्टमेंट के प्रोफेसर अभय बताते हैं कि अश्वगंधा एक ऐसी औषधि है, जिसके जरिए लकवा और शुगर जैसी बीमारियों में राहत देने का काम करती है। प्रोफेसर अभय ने बताया की वह अश्वगंधा पर रिसर्च कर रहे हैं और उन्होंने बताया की आजकल लकवा यंग जनरेशन के बच्चों में ज्यादा देखी जा रही है, मस्तिष्क की नस में खून जमने के कारण लकवा जैसी समस्या होती है और इसका इलाज तुरंत नहीं करते है तो इंसान जिंदगी भर इसकी चपेट में रह सकता है
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लकवा दो प्रकार का होता है
अश्वगंधा बाजार में टैबलेट और पाउडर के रूप में बिक रहा है, लेकिन, पेड़ के जरिए अश्वगंधा के पत्तों का इस्तेमाल करने पर लकवा जैसी बीमारी से आसानी से बच सकते हैं उन्होंने बताया की लकवा दो प्रकार का होता है. एक हेमोरेजिक स्ट्रोक और दूसरा Ischemic स्ट्रोक। इन दोनों में ब्रेन की कोशिकाएं मर जाती हैं और उनका पुनः सृजन आसान नहीं होता है, डॉक्टर बताते हैं कि रिसर्च में यह पाया गया है कि अधिक मात्रा में शुगर जब हमारे खून के अंदर antioxidant की कमी कर देता है. इससे खून की कोशिकाएं मरने लगती हैं, तब हमारा ब्रेन केवल ग्लूकोज लेता है
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अश्वगंधा कैसे काम करता है
‘अश्वगंधा’, जिसका वैज्ञानिक नाम (Withania Somnifera) है यह बहुत अच्छा औषधि पौधा है. इसकी जड़ों का अर्क और इसके एक्सट्रैक्ट ब्रेन और ब्लड में कोशिकाओं को पुनर्जीवित और फ्री रेडिकल को निकालने में बहुत हेल्प करता है इसलिए अश्वगंधा का इस्तेमाल जितना पौधे के रूप में किया जाए, वह उतना ही फायदेमंद होगा डॉक्टर अभय ने बताया की लकवा जैसी बीमारी में अश्वगंधा काफी कारगर साबित है. जब हमारा ब्रेन केवल शरीर के ग्लूकोज का प्रयोग करता है, तो एंटीऑक्सीडेंट की कमी हमारे ब्रेन और खून की कोशिकाओं में उत्सर्जित खराब फ्री रेडिकल को शरीर से बाहर नहीं कर पाता. इसके बाद कोशिकाएं मरने लगती हैं. जब यह अधिक समय तक होता है, तो अचानक से नस में खून जम जाता है और पूरा शरीर का बैलेंस बिगड़ जाता है