Marital rape :
Marital rape : सुप्रीम कोर्ट में मैरिटल रेप को अपराध के दायरे में लाने के मामले में राजस्थान सरकार ने हस्तक्षेप अर्जी दाखिल करते हुवे अनुरोध किया है कि उसकी भी बात सुनी जाए, राजस्थान सरकार इस मामले में खुद को एक पक्षकार बनाना चाहती है, मगर पत्नी से जबरन शारीरिक संबंध बनाना अपराध है या नहीं ? ये सुप्रीम कोर्ट को तय करना है, दायर याचिका में राजस्थान में मैरिटल रेप के ढेरों मामलों का हवाला दिया गया है, आपको बता दे की, राजस्थान राज्य के एडिशनल एडवोकेट जनरल शिव मंगल शर्मा ने 1860 के IPC (आईपीसी) की धारा 375 के तहत मैरिटेल रेप अपवाद की संवैधानिकता के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में हस्तक्षेप आवेदन दायर किया है
राजस्थान सरकार मैरिटल रेप के पीड़ितों के हितों का प्रतिनिधित्व करना चाहती है
राजस्थान सरकार की ओर से यह याचिका “ऋषिकेश साहू बनाम कर्नाटक राज्य और अन्य” मामले में दायर करते हुवे कहा गया है कि ये मामला महिलाओं के अधिकारों और आपराधिक न्याय प्रणाली पर गहरे प्रभाव को उजागर करता है और इस पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला नागरिकों व खासतौर पर महिलाओं के लिए प्रभावी होगा और राजस्थान सरकार उस मामले में मैरिटल रेप के पीड़ितों के हितों का प्रतिनिधित्व करना चाहती है
क्या कहता है कानून ?
वर्तमान में मैरिटल रेप कानून के मुताबिक अगर पति अपनी पत्नी के साथ यौन संबंध बनाता है मगर पत्नी की उम्र 15 साल से कम नहीं होनी चाहिए, अगर ऐसा है तो यह बलात्कार नहीं है। तो दूसरी तरफ 1 जुलाई से IPC की धारा 63 (बलात्कार के लिए सजा) के अपवाद 2 में कहा गया है कि किसी पुरुष द्वारा अपनी पत्नी के साथ संभोग या अन्य यौन कृत्यों को बलात्कार नहीं माना जाएगा जब तक कि पत्नी 18 वर्ष से कम न हो
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