Reservation in India :
Reservation in India : जातीय गणना के बाद आरक्षण सीमा को 50 फीसदी से बढ़ाकर 65 फीसदी करने का फैसला लिया गया था मगर पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के उस फैसले को रद्द कर दिया है, इस फैसले पर जीतन राम मांझी ने सोशल मीडिया साइट पर उन्होंने एक पोस्ट लिखा और कहा कि आरक्षण वंचितों का अधिकार है, जिसके सहारे वे अपने सपनों को पूरा करने की सोचते हैं। बता दें कि बिहार सरकार ने जातीय जनगणना के बाद शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में पिछड़े वर्गों को 65 फीसदी आरक्षण करने का फैसला लिया था।
सामान्य वर्ग के लिए केवल 35 फीसदी का अधिकार
इस कानून के तहत सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थियों के लिए मात्र 35 फीसदी ही पदों पर सरकारी सेवा का अधिकार दिया गया था।आरक्षण मामले पर कर्नाटक, महाराष्ट्र और हरियाणा को भी कोर्ट ने ऐसा झटका दिया है, देश में सिर्फ तमिलनाडु ही इकलौता ऐसा राज्य है, जहां 69 फीसदी आरक्षण दिया जा रहा है, वो भी पिछले 35 वर्षों से, सुप्रीम कोर्ट ने साल 1992 में एक ऐतिहासिक फैसला दिया था, जिसमें उसने आरक्षण की लिमिट 50 फीसदी तय कर दी थी. लेकिन अब सवाल उठता है कि बावजूद इसके कैसे तमिलनाडु में 69 फीसदी जातीय आरक्षण दिया जा रहा है, बहुचर्चित इंदिरा साहनी केस और बाद में इस पर सरकार द्वारा उठाया गया एक कदम ने बदल दिया था खेल और आज उसिकी बदौलत तमिलनाडु में पिछले 35 साल से 69 फीसदी आरक्षण मिल रहा है
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तमिलनाडु सरकार ने चतुराई से कर दिया ६९ फीसदी आरक्षण, मगर कैसे ये जानिये
जयललिता सरकार ने1993 में विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया और बड़ी चतुराई से आरक्षण पर एक प्रस्ताव पास किया, इस प्रस्ताव को लेकर वह उस वक्त की नरसिम्हा राव सरकार के पास गईं और केंद्र सरकार ने तमिलनाडु के इस आरक्षण कानून को संविधान की नौंवी सूची के तहत डाल दिया, आपको बताया दे की, जो विषय संविधान की नौंवी सूची में हैं, उसकी अदालत समीक्षा नहीं कर सकती और ऐसे पिछले 35 सालों से तमिलनाडु को मिल रहा है 69 फीसदी आरक्षण का लाभ
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