- 1989 में अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास के दौरान पहली ईंट रखनेवाले कामेश्वर चौपाल की मांग
- वर्तमान में चौपाल अयोध्या मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी भी हैं कामेश्वर चौपाल
- रामायण सर्किट : केंद्र की एक प्रोजेक्ट का हिस्सा है सीतामढ़ी मंदिर
- सीतामढ़ी में लगभग 100 साल पहले एक मंदिर बनाया गया था, लेकिन अब वह अच्छी स्थिति में नहीं है- भाजपा सदस्य कामेश्वर चौपाल
- बिहार सरकार ने नया मंदिर बनाने के लिए सीतामढ़ी में मौजूदा मंदिर के आसपास 50 एकड़ जमीन का अधिग्रहण करने का फैसला किया
- मंदिर का निर्माण राम मंदिर की तरह ही एक सार्वजनिक ट्रस्ट द्वारा जुटाए गए धन से किया जाएगा
ऐसा माना जाता है की माता सीता जी का जन्म सीतामढ़ी में हुवा था | अब अयोध्या में राम मंदिर के बाद उत्तर बिहार के सीतामढ़ी जिले में माता सीता के लिए एक भव्य मंदिर बनाने की योजना है। क्यों की,बिहार सरकार ने नया मंदिर बनाने के लिए सीतामढ़ी में मौजूदा मंदिर के आसपास 50 एकड़ जमीन का अधिग्रहण करने का फैसला किया है। बिहार कैबिनेट की 15 मार्च शुक्रवार को हुई बैठक में यह ऐतिहासिक फैसला लिया गया।
सीता के लिए सीतामढ़ी वही है जो राम के लिए अयोध्या है। यह हिंदुओं के लिए पवित्र भूमि है। दुनिया भर से लोग अब अयोध्या में राम मंदिर में पूजा करने आएंगे और सीता की जन्मस्थली भी देखना चाहेंगे। माता सीता के लिए उनकी प्रतिष्ठा के अनुरूप एक भव्य मंदिर सीतामढ़ी में बनाया जाना चाहिए ऐसा बिहार के भाजपा सदस्य कामेश्वर चौपाल ने कहा |
कामेश्वर चौपाल और राम मंदिर..
आपको बताया दे की कामेश्वर चौपाल ने ही 1989 में अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास के दौरान पहली ईंट रखी थी और अब वर्तमान में कामेश्वर चौपाल अयोध्या मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी भी हैं। कामेश्वर चौपाल काफी लंबे समय से सीतामढ़ी में भव्य सीता मंदिर की मांग कर रहे हैं।
कामेश्वर चौपाल का कहेना है की, “सीतामढ़ी में एक मंदिर तो है जो लगभग 100 साल पहले बनाया गया था, लेकिन यह बहुत अच्छी स्थिति में नहीं है। हमारा प्रस्ताव एक नया मंदिर बनाने का है जो अयोध्या के राम मंदिर जितना ही भव्य हो।”
सरकार का क्या है प्लान ?
बिहार के मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डॉ एस सिद्धार्थ ने कहा, “सरकार मंदिर नहीं बना सकती। लेकिन यह मांग लगातार उठती रही है कि यहां एक भव्य मंदिर बनाया जाना चाहिए। सरकार इसे संभव बनाने के लिए भूमि का अधिग्रहण कर रही है।”
Cm के प्रधान सचिव सिद्धार्थ ने कहा, जब मंदिर बनेगा तो बड़ी संख्या में तीर्थयात्री आएंगे, उन्हें होटल और सार्वजनिक सुविधाओं आदि की आवश्यकता पड़ेगी। भूमि अधिग्रहण का निर्णय क्षेत्र में भविष्य के विकास की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए किया गया है। राम मंदिर निर्माण के बाद इस स्थान को लेकर लोगों में अधिक रुचि बढ़ी है। यहां तिरुपति जैसी साइट विकसित करने की क्षमता है, और हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि उस तरह के विकास के लिए पर्याप्त जगह उपलब्ध हो।
रामायण सर्किट : केंद्र की एक प्रोजेक्ट का हिस्सा है सीतामढ़ी मंदिर
सीतामढ़ी रामायण सर्किट का हिस्सा है, जो रामायण में वर्णित 15 महत्वपूर्ण स्थानों का एक समूह है, जिसे केंद्र सरकार ने धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने मकसद से विकसित करने के लिए पहचाना है।
मंदिर के लिए भूमि अधिग्रहण का निर्णय सिद्धार्थ और बिहार सरकार के अन्य अधिकारियों के साथ भक्तों की बैठक के ठीक दो दिन बाद आया। बिहार सरकार ने क्षेत्र में एक पुनर्विकास परियोजना को मंजूरी दी थी और इस साल की शुरुआत में इसके लिए 72 करोड़ रुपये मंजूर किए थे।
कामेश्वर चौपाल ने कहा कि प्रस्तावित मंदिर के विवरण पर काम किया जाना बाकी है, बिहार सरकार ने जमीन उपलब्ध कराना सुनिश्चित कर एक बहुत ही महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। अब यह हम जैसे लोगों, मौजूदा मंदिर को चलाने वाले ट्रस्ट और अन्य इच्छुक लोगों पर है कि वे इसे आगे बढ़ाएं। हम आने वाले वर्षों में सीतामढी और इस प्रस्तावित नये मंदिर को एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल के रूप में देखने को इच्छुक हैं।