Supreme Court:
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को विजुअल मीडिया और फिल्मों में दिव्यांग व्यक्तियों के “अपमानजनक” चित्रण के खिलाफ दिशा-निर्देश जारी किए। इसमें कहा गया कि “अपंग” और “अस्थि-आस्थि” जैसे शब्दों ने सामाजिक धारणाओं में “अपमानजनक अर्थ” हासिल कर लिया है।
यह फैसला निपुण मल्होत्रा की याचिका पर आया, जिन्होंने कहा था कि हिंदी फिल्म ‘आंख मिचोली’ में दिव्यांग व्यक्तियों के लिए अपमानजनक संदर्भ हैं। फैसला सुनाते हुए मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, “शब्द संस्थागत भेदभाव को बढ़ावा देते हैं और दिव्यांग व्यक्तियों के बारे में सामाजिक धारणाओं में अपंग और अस्थि-आस्थि जैसे शब्दों ने अवमूल्यन अर्थ हासिल कर लिया है।” कई दिशा-निर्देश जारी करते हुए पीठ ने कहा कि फिल्म प्रमाणन निकाय सीबीएफसी को स्क्रीनिंग की अनुमति देने से पहले विशेषज्ञों की राय लेनी चाहिए।
इसमें कहा गया, “विजुअल मीडिया को दिव्यांग व्यक्तियों की विविध वास्तविकताओं को दर्शाने का प्रयास करना चाहिए, न केवल उनकी चुनौतियों को बल्कि उनकी सफलताओं, प्रतिभाओं और समाज में उनके योगदान को भी प्रदर्शित करना चाहिए। उन्हें न तो मिथकों के आधार पर उपहासित किया जाना चाहिए और न ही उन्हें बहुत अपंग के रूप में प्रस्तुत किया जाना चाहिए।”
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