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Muslim : धारा-125, दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की ये धारा के तहत मुस्लिम महिला को भी अपने पति से गुजारा भत्ता की मांग करने संबंधी सुप्रीम कोर्ट ने साल 1985 के शाह बानो बेगम मामले में दिये गए शीर्ष अदालत के ऐतिहासिक निर्णय को याद दिला दिया
मुस्लिम महिलाओं को भरण-पोषण का भत्ता देने का विवादास्पद मुद्दा 1985 में प्रकाश में आया था और CrPC की धारा 125 थी केंद्र में, जब मोहम्मद अहमद खान बनाम शाह बानो बेगम मामले में संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से फैसला सुनाते हुवे कहा था कि मुस्लिम महिलाएं भी गुजारा भत्ता पाने की हकदार हैं
मुस्लिम धर्मगुरुओं और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने फैसले का कड़ा विरोध किया था
सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दिए गए इस फैसले की वजह से, मुस्लिम पति द्वारा अपनी तलाकशुदा पत्नी को विशेष रूप से भरण-पोषण की राशि देने के वास्तविक दायित्व को लेकर पूरे देश में हंगामा मच गया था और तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने संसद में इस फैसले का बचाव करने के लिए तत्कालीन केंद्रीय मंत्री आरिफ मोहम्मद खान को मैदान में उतारा हालांकि, यह रणनीति उल्टी पड़ गई क्योंकि मुस्लिम धर्मगुरुओं और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस फैसले का कड़ा विरोध किया था
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बुधवार को क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने ?
अपने फैसले में जस्टिस बी. वी. नागरत्ना और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने बुधवार को कहा कि, बेंच ने (शाह बानो केस मामले में) सर्वसम्मति से यह माना था कि ऐसे पति का दायित्व उक्त संबंध में किसी भी ‘पर्सनल लॉ’ के अस्तित्व से प्रभावित नहीं होगा और CrPC 1973 की धारा 125 के तहत भरण-पोषण मांगने का स्वतंत्र विकल्प हमेशा उपलब्ध है और शाह बानो मामले के फैसले में मुस्लिम पति द्वारा अपनी तलाकशुदा पत्नी,जो तलाक दिए जाने या तलाक मांगने के बाद अपना भरण-पोषण करने में असमर्थ है, के प्रति भरण-पोषण के दायित्व के मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की गई है
पत्नी को दूसरी शादी करने वाले अपने पति के साथ रहने से इनकार करने का अधिकार है
सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि शाह बानो केस में दिये गए फैसले में यह भी कहा गया है कि यह मानते हुए भी कि तलाकशुदा पत्नी द्वारा मांगी जा रही भरण-पोषण राशि के संबंध में धर्मनिरपेक्ष और ‘पर्सनल लॉ’ के प्रावधानों के बीच कोई टकराव है, तो भी CrPC की धारा 125 का प्रभाव सर्वोपरि होगा, बेंच ने कहा कि 1985 के फैसले में स्पष्ट किया गया है कि पत्नी को दूसरी शादी करने वाले अपने पति के साथ रहने से इनकार करने का अधिकार है